जिन्हें लगता है मोदी जी देश के सब से अच्छे PM है, वो जरूर पढे कि कैसे चौकीदार के नाक के नीचे देश की जनता को लूटा जा रहा है....
दालों के दाम घटे, क्यों? नहीं जानते होंगे आप, जानेंगे तो चौंकेंगे
देश में आसमान छू रहीं दाल की कीमतें अचानक जमीन पर आ गिरी हैं. दाल के भाव करीब 40 फीसदी तक कम हो गए हैं. आखिर क्यों दाल की कीमतें इतनी तेजी से गिरी हैं? इसका जवाब जानने के लिए जब एबीपी न्यूज ने पड़ताल की तो पता चला है..
पिछले 4 दिनों से दालों के बाजार मे हडकंप मचा हुआ है, क्योंकि दालों के दाम होलसेल मार्केट मे 40 फीसदी गिर गए हैं. क्या है इसकी वजह ये जानने की कोशिश की तो एबीपी न्यूज को पड़ताल में जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक अच्छी बारिश सबसे बडी वजह है, और घबराहट की वजह से दाल के दाम कम हुए हैं. सरकार के पास हजारों टन माल पडा हुआ है, इसलिए सरकार को जमा दाल निकालने की जल्दी रहेगी, इस वजह से जमाखोरों को लग रहा है कि सरकार दालों की कीमत कम करके बेचेगी. इसलिए जमाखोर व्यापारियों को माल निकालने की जल्दी है और स्टॉकिस्ट घबराहट की वजह से माल निकाल रहे हैं.
दालों के जमाखोर अब बाजार मे दाल उतार रहे हैं, इसलिए आ गई है दालों के दामों मे जबरदस्त गिरावट, इस गिरावट में सरकार का कोई रोल नहीं , अभी तुअर दाल की नई फसल आने में करीब 3 महीने का वक्त बाकी है, नई दाल मार्केट मे आई नहीं तो फिर दालो के दाम 40 फीसदी तक कैसे घट गए इसकी वजह व्यापारी खुद बता रहे हैं. इसके मुताबिक नए मौसम के हिसाब से रहने की वजह से सब तरफ अच्छी बारिश आई और इसके बाद जिसके पास थोडा भी स्टॉक है वो इसे सस्ते दामों में भी निकालना चाहता है क्योंकि अगले 2 महीने मे नई तुअर दाल आएगी.
इसका मतलब तो साफ है, व्यापारियो के पास दाल मौजूद थी, लेकिन वो बाजार में दिख नही रही थी. और दाम आसमान छू रहे थे केंद्र सरकार ने दाल जमाखोरों पर कार्यवाही करने की जगह दाल इंम्पोर्ट की और अब रेट कम होंगे इस डर के मारे जमाखोर व्यापारी अपनी दाल बाजार मे उतार रहे हैं. इस वजह से दालो के दाम घटे हैं और जरा देखिए पंद्रह दिन पहले दालो के दाम क्या थे और अब क्या हो गए हैं.
तुअर दाल जो पंद्रह दिन पहले 105 से 120 रुपये थी और अब 70 से 80 रुपये पर आ गई है. मूंग दाल जो पंद्रह दिन पहले 80 से 90 रुपये और अब 60 से 70 रुपये तक नीचे आ गई है. उड़द दाल के दाम पंद्रह दिन पहले 135 रुपये और अब 110 रुपये तक जा पहुंची है. चना दाल के दाम पंद्रह दिन पहले 120 रुपये थे और अब 75 रुपये तक नीचे आ गए हैं.
ये है दाल का खेल, दाल का कालाबाजार, जो अब खुद ब खुद सामने आ रहा है, दाल की नई फसल तो आई नहीं लेकिन न जाने होलसेल मार्केट में कहां से दाल आ गई और दाम घट गए. सरकार अगर कड़ी छापा मार कार्यवाही करती तो दालों के रेट में भारी गिरावट बहुत पहले आजाती और केंद्र सरकार को भारी मात्र में दालो को इम्पोर्ट करने के फैसला नहीं लेना पढता रेट गिरने का डर जो अब व्यापारीयो मे साफ दिख रहा है इसकी वजह है. व्यापारियों को लग रहा है, अगर सरकार सस्ते में दाल निकालेगी तो उनकी जमा की हुई दालों का क्या होगा, इसलिए जल्दबाजी मे जमाखोरो की दाल मार्केट में आ गई, दूसरी वजह ये भी है की अब त्यौहारों का दौर आ रहा है और लोग ज्यादा दालें खरीदते है, यानी ये वक्त दाल निकालने के लिए सही वक्त है. इसलिए दालो के दाम घट गए. हालांकि क्या आपको इन दामों अभी दाल मिल रही है ये देखें तो मुबंई के कुछ इलाकों में दालो के दाम अभी भी आसमान छू रहे है.
यानी खुदरा व्यापारियों ने पहले से बढे हुए दामों मे दाल खरीदी थी, इसलिए वो नुकसान लेने के लिए तैयार नहीं है, और दालों मे दाम वो नही घटाएंगे, लेकिन उस किसान का क्या, जिसकी दाल की फसल अभी आनेवाली है और दालों के दाम घट गए. पिछले साल से अब तक दालों को अच्छे दाम मिलने से महाराष्ट्र और कर्नाटक समेत देश के कई किसानों ने दालों की ज्यादा बुआई की, लेकिन अब फसल आने का वक्त हुआ तो दालों के दाम गिरने लगे. फसल आ रही है, और दाम कितने कम हो रहे हैं, किसान खतरे मे आया है, उनका नुकसान होने वाला है.
अब देखना ये है केंद्र की मोदी सरकार दालों की जमाखोरी कर जनता को लूटने वाले जमाखोरों पर क्या कदम उठाते है जमाखोर व्यापारी. जिसका अब पर्दाफाश हो चुका है.