Tuesday, December 13, 2016

Scams in India under BJP Rule Madhya Pradesh


भाजपा सरकार के 156 माह के कार्यकाल के 156 घोटाले

1. व्यापम महाघोटाला
2. सिंहस्थ महाघोटाला
3. DMAT घोटाला
4. डम्पर काण्ड
5. कंजेमिया सम्रद्धि योजना CM हाउस पर 7 सालों से लगा टेंट
6. CM के परिवारजनों द्वारा बुधनी के आसपास जमीनी खरीदी कांड
7. मुख्यमंत्री के साले द्वारा फर्जी दस्तावेजों से PWD पंजीयन
8. शौचालय घोटाला
9. मनरेगा मजदूरी घोटाला
10. PDS घोटाला
11. मनरेगा घोटाला
12. CM के साले को अधिमान्य पत्रकार कार्ड काण्ड
13. NRHM घोटाला
14. नकली खाद घोटाला
15. गेंहू खरीदी घोटाला
16. नकली बीज खरीदी घोटाला
17. 15 हज़ार से ज्यादा किसानों में की आत्म हत्या
18. धान खरीदी घोटाला
19. मणीखेडा हरसी नहर घोटाला
20. बाणसागर परियोजना घोटाला
21. पन्ना के नए बाँध निर्माण में घोटाला
22. बुंदेलखंड पैकेज घोटाला
23. तेंदू पत्ता लाभांश वितरण घोटाला
24. CM द्वारा संरक्षित रेत घोटाला
25. ड्रिप एरीगेशन खरीदी घोटाला
26. को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी घोटाला
27. किसान फसल बीमा घोटाला
28. बिजली खरीदी घोटाला
29. फसल मुआवजा वितरण घोटाला
30. लैंको अमरकंटक बिजली घोटाला
31. रिलायंस जमीन घोटाला
32. इंदौर विकास प्राधिकरण में जमीन घोटाला
33. भोपाल में गैमन इंडिया घोटाला
34. सीहोर में कोहली लिमिटेड द्वारा पट्टे की 328 एकड़ खरीदी घोटाला
35. नमक खरीदी घोटाला
36. परिवहन आरक्षक भर्ती घोटाला
37. पटवारी भर्ती घोटाला
38. पुलिस भर्ती घोटाला
39. वन रक्षक भर्ती घोटाला
40. शिक्षाकर्मी भर्ती घोटाला
41. मिड डे मील घोटाला
42. प्रधानमन्त्री सड़क घोटाला
43. मुख्यमंत्री सड़क घोटाला
44. BOT टोल सड़क घोटाला
45. रीवा बैंक घोटाला
46. ट्रान्सफर घोटाला
47. आबकारी घोटाला
48. वन अधिनियम पट्टा वितरण घोटाला
49. पोषण आहार घोटाला
50. हाउसिंग बोर्ड घोटाला
51. अवैध उत्खनन घोटाला
52. आरएसएस जमीन घोटाला
53. यूनिफार्म खरीदी घोटाला
54. साईकिल घोटाला
55. गाय बैल खरीदी घोटाला
56. बलराम तालाब घोटाला
57. पुस्तक खरीदी घोटाला
58. सहकारिता ऋण वितरण घोटाला
59. भोपाल का चंदा माम काण्ड
60. गौ शाला अनुदान घोटाला
61. वृक्षरोपण घोटाला
62. नर्मदा घाटी नहर घोटाला
63. अवैध वन कटाई घोटाला
64. बाढ़ राहत घोटाला
65. MP एग्रो घोटाला
66. लघु उद्योग निगम खरीदी घोटाला
67. नल कूप खनन घोटाला
68. तकिया गद्दा खरीदी घोटाला
69. मच्छरदानी खरीदी घोटाला
70. टाइपिंग बोर्ड घोटाला
71. संस्कृत बोर्ड घोटाला
72. ओपन स्कूल परीक्षा घोटाला
73. ब्लैक बोर्ड पुताई घोटाला
74. किताब छपाई घोटाला
75. एक्स-रे टेक्नीशयन घोटाला
76. जननी प्रसव अनुदान घोटाला
77. सहरिया प्रोत्साहन राशि घोटाला
78. गौण खनिज परिवहन घोटाला
79. कपिल धारा घोटाला
80. प्रोफेसर भर्ती घोटाला
81. राज्य शिक्षा केंद्र ट्रेनिग घोटाला
82. आरएसएस की देवपुत्र पत्रिका घोटाला
83. MPSID घोटाला
84. आहार परिवहन घोटाला
85. फ़र्टिलाइज़र परिवहन घोटाला
86. स्कूल छात्रवृत्ति घोटाला
87. बारदाना घोटाला
88. बीएड डीएड घोटाला
89. कॉलेज छात्रवृत्ति घोटाला
90. कन्यादान योजना टेंडर घोटाला
91. स्वच्छ भरता मिशन प्रचार घोटाला
92. पंचायत निर्माण में कमीशन घोटाला
93. मंदी बोर्ड टैक्स चोरी घोटाला
94. कन्यादान नकली जेवर घोटाला
95. किसान कल्याण भ्रमण घोटाला
96. राजीव गाँधी बिजलीकरण घोटाला
97. बीमा अस्पताल खरीदी घोटाला
98. बुंदेलखंड पैकेज में पेयजल घोटाला
99. राज्य शिक्षा केंद्र लैपटॉप घोटाला
100. रेशम किसान कल्याण घोटाला
101. छात्र मोबाइल वितरण घोटाला
102. बालाघाट फर्जी टीपी घोटाला
103. सहकारिता विभाग भर्ती घोटाला
104. मप्र नान घोटाला
105. बुंदेलखंड पशुपालन घोटाला
106. हरदा सहकारी बैंक खरीदी घोटाला
107. ट्रांसफार्मर आयल खरीदी घोटाला
108. आपदा निधि घोटाला
109. CM स्वेच्छानुदान घोटाला
110. AKVN भूमि घोटाला
111. ऑटो टेस्टिंग ट्रैक घोटाला
112. फर्जी राशन कार्ड घोटाला
113. रेशम घोटाला
114. समग्र आईडी घोटाला
115. नापतोल इंस्पेक्टर घोटाला
116. भूमि लीज़ घोटाला
117. इन्वेस्टर समिट घोटाला
118. सेडमैप घोटाला
119. JNURM घोटाला
120. लोकसेवा गारंटी योजना घोटाला
121. किसान ऋण माफी घोटाला
122. माखनलाल यूनिवर्सिटी भर्ती घोटाला
123. रतनजोत प्लांटेशन घोटाला
124. लघु वनोपज संघ घोटाला
125. कोल ब्लोक घोटाला
126. नाव एवं लाइफ जैकेट घोटाला
127. पोस्टमैन भर्ती घोटाला
128. सड़क निर्माण में ट्रांसट्रॉय घोटाला
129. बरकतुल्लाह यूनिवर्सिटी घोटाला
130. BMHRC घोटाला
131. पशु आहार घोटाला
132. मेडिकल काउंसलिंग घोटाला
133. सरदार सरोवर बाँध विस्थापना रजिस्ट्री घोटाला
134. दवाई घोटाला
135. इंदिरा आवास घोटाला
136. इंदौर सीवेज घोटाला
137. LED घोटाला
138. लाइट ट्रैप घोटाला
139. भोपाल दुग्ध संघ घोटाला
140. स्कूलों में गैस चूल्हा घोटाला
141. पेंशन घोटाला
142. PSC घोटाला
143. सुगनीदेवी जमीन घोटाला
144. राशन घोटाला
145. जनश्री बीमा योजना घोटाला
146. मुकुंदपुर टाइगर सफारी निर्माण घोटाला
147. वेयर हाउस घोटाला
148. चिटफण्ड घोटाला
149. छिंदवाडा बाँध घोटाला
150. टेलिकॉम विभाग घोटाला
151. अस्पताल सफाई घोटाला
152. ट्रिप कोइल खरीदी घोटाला
153. डायल 100 घोटाला
154. विज्ञापन घोटाला
155. नल कनेक्शन घोटाला
156. डामर घोटाला

Saturday, December 10, 2016

यह लड़ाई भारत के भाग्य को बदलने की है। यह लड़ाई भ्रष्टाचार और काले धन को मिटाने की है। ...तो अब मोदी जी को देश के किस चौराहे पर बुलाया जाए?

पहले दिन यानी 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी का ऐलान होते समय ज्यादातर लोगों को लगा (जिनमें कई घोषित मोदी विरोधी भी थे) कि यह एक अच्छा कदम है। वजह यह थी कि जिस तरह से खुद प्रधानमंत्री ने आगे आकर राष्ट्र को संबोधित करते हुए नोटबंदी की घोषणा की थी, उससे स्वाभाविक तौर पर माना जा रहा था कि सरकार ने घोषणा से पहले सारी जरूरी तैयारियां पूरी कर ली हैं। हालांकि कांग्रेस ने तब भी इसे मोदी का नाटकीयता प्रेम करार दिया था, लेकिन तब इसे विरोध के लिए विरोध माना गया।
24 घंटा होते-होते यह आशंका गहराने लगी कि सरकार ने पर्याप्त तैयारी नहीं की। पांच सौ और हजार के नोट खत्म करके दो हजार का नोट लाने की घोषणा बता रही थी कि सरकार की योजना में बुनियादी गड़बड़ी है। उसके बाद यह पता चला कि दो हजार के नोट एटीएम मशीन की साइज के अनुरूप नहीं हैं, इसलिए वे मौजूदा स्वरूप में एटीएम मशीनों से नहीं निकाले जा सकते। चूंकि नोट काफी संख्या में छप कर तैयार थे, उनका आकार नहीं बदला जा सकता था, इसलिए हड़बड़ी में यह तय हुआ कि मशीन को ही नोट के नए आकार के अनुरूप बनाया जाएगा।
यह जूता खरीदने के बाद पैर को उसके साइज के हिसाब से ‘अजस्ट’ करने का क्लासिक उदाहरण था।मगर, प्रधानमंत्री सहित उनकी पूरी भक्त मंडली यही गाने में मस्त थी कि गोपनीयता बहुत जरूरी थी और ये पूरा प्लान बेहद गोपनीय रखा गया, किसी को हवा तक नहीं लगने दी गई। बस इसी एक तर्क के सहारे आम जनता को हो रही दुख-तकलीफों को, यहां तक कि मौतों को भी जायज ठहराने की कोशिश की जाती रही। कहा गया, जो भी हुआ देश के लिए हुआ। काला धन, भ्रष्टाचार, फर्जी नोट, आतंकवाद आदि तमाम बुराइयों को इससे जोड़ दिया गया।
यह विशुद्ध रूप से देशवासियों को बेवकूफ बनाने का अभियान था, लेकिन मोदी भक्तों का सामूहिक कीर्तन इतने जोर-शोर से जारी था कि आम जनता ठंडे दिमाग से सोचने का मौका नहीं पा रही थी। इस बीच दो हजार के नए नोटों की शक्ल में फर्जी नोट बरामद होने लगे, नए नोटों की लाखों की गड्डियां उन्हीं बीजेपी नेताओं के पास से पकड़ी जाने लगीं जो गला फाड़-फाड़ कर देश के लिए त्याग करने का ऐलान कर रहे थे और बैंककर्मियों के भ्रष्टाचार के किस्से भी सामने आने लगे। यहां तक कि धीरे-धीरे लगभग सारा काला धन बैंकों में पहुंच गया। सरकार का अनुमान था कि करीब तीन लाख करोड़ रुपये वापस नहीं आएंगे जिससे न केवल इस पूरी कवायद का खर्च वसूल हो जाएगा बल्कि एक बड़ी राशि सरकार को बैठे-बिठाए मिल जाएगी जिसका एक हिस्सा आम गरीब लोगों के खातों में जमा करवा कर वह सबका मुंह बंद कर देगी।
यानी एक-एक करके सरकार के सारे दावे ध्वस्त होते चले गए। ऊपर से मांग घटने, उत्पादन कम होने, फैक्ट्रियां बंद होने, बड़ी संख्या में कर्मचारियों के बेरोजगार होने और कीमत न मिलने के कारण फसलें बर्बाद होने की खबरों से चारों मुर्दनी बढ़ती जा रही है।
क्या इसके बाद भी कुछ कहने को बाकी रह जाता है? जो भक्तिभाव में सराबोर होकर अपनी सोचने-समझने की ताकत गंवा चुके हैं, उनकी बात करना बेकार है, लेकिन बाकी लोगों के लिए यह सवाल बनता है कि अब मोदी जी को देश के किस चौराहे पर बुलाया जाए। खुद वह घोषणा कर चुके हैं कि ‘अगर 50 दिनों में सबकुछ ठीक न हुआ तो जहां जिस चौराहे पर बुलाएंगे मैं हाजिर हो जाऊंगा’। 18 दिन का वक्त है अभी भी, तब तक सोच-विचार कर तय कर लें।