इस समय देश अपने सबसे खराब आर्थिक संकटों में से एक का सामना कर रहा है। बिना सोचे समझे और बेहद खराब ढंग से जल्दबाजी में लागू की गयी विघटनकारी आर्थिक नीतियों ने अर्थव्यवस्था को तबाही के कगार पर ढकेल दिया है। इससे भारत के सबसे कमजोर सामाजिक-आर्थिक समूहों को गंभीर आर्थिक झटका लगा। भाजपा राज में मौजूदा विकास दर यूपीए के समय के मुकाबले से घटकर लगभग आधी 5.7 प्रतिशत के करीब पहुंच चुकी है, देश भर में सरकार की उपेक्षा झेल रहे किसानों का विरोध बढ़ता ही जा रहा है, निर्माण उद्योग खासकर छोटे और मध्यम उद्यमों में ठहराव आ गया है और देश के लिए सबसे ज्यादा जरुरी रोजगार सृजन खत्म के कगार पर है।
लेकिन इस सब के बीच एक चमकदार उपलब्धि भी है। और यह भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बेटे जय शाह के नाम से है। रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज में दाखिल किए गए दस्तावेजों के अनुसार जूनियर शाह की कंपनी ‘टेम्पल एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड ने 2014-15 और 2015-16 के बीच सालाना कारोबार में करीब 16,000 गुना वृद्धि दर्ज की है। दूसरे शब्दों में कहा जाये तो 2014-15 में कंपनी ने महज 50,000 के राजस्व पर 18,728 रुपये का लाभ दिखाया। 2015-16 में कंपनी का टर्नओवर आसमान में छलांग लगाते हुए बढ़कर 80.5 करोड़ रुपये को छू गया।
ये निष्कर्ष द वायर द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में सामने आया है, इस रिपोर्ट में यह भी संकेत किया गया है कि जय शाह की कंपनी को इस दौरान कई तरह के कर्ज भी मिले जिसमें राज्यसभा सांसद और रिलायंस इंडस्ट्रीज के शीर्ष एक्जीक्यूटिव परिमल नाथवानी के समधी राजेश खंडवाला के स्वामित्व वाली एक वित्तीय सेवा कंपनी से 15.78 करोड़ रुपये का असुरक्षित कर्ज मिला था। लेकिन इन सबमें शायद सबसे ज्यादा चौंकाऊ तथ्य ये है कि एक साल बाद अक्टूबर, 2016 में जय शाह की कंपनी ने अपनी व्यापारिक गतिविधियों को अचानक पूरी तरह से बंद कर दिया। निदेशकों की रिपोर्ट में यह कहा गया कि पिछले वर्ष हुए 1.4 करोड़ रुपये के घाटे और इससे पहले के सालों में होने वाले नुकसानों के कारण कंपनी का नेटवर्थ पूरी तरह से समाप्त हो गया है। अजीब बात ये है कि एक साल में ही कंपनी ने 16 लाख प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की।
कांग्रेस पार्टी ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि मीडिया में आयी इस चौंकाने वाली जानकारी के आधार पर ‘शाह के स्वर्णिम सौदों’ की जांच का आदेश दिया जाये। मोदी सरकार बदले की भावना से अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ आयकर और प्रवर्तन विभाग के जरिये लगातार छापेमारी और पूछताछ जैसे हथकंडों का इस्तेमाल करने के लिए जानी जाती है। सरकार भष्ट्राचार के खिलाफ लड़ाई और पारदर्शिता लाने के बड़े-बड़े दावे करती है लेकिन जमीनी हकीकत में सब कुछ हवा हवाई है। सरकार को इस आसमानी फायदे की सच्चाई की जांच करने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।
कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘अंततः हमें नोटबंदी के एकमात्र लाभार्थी का पता चल ही गया। ये रिजर्व बैंक, गरीब या किसान नहीं है। ये तो नोटबंदी के शाहों का शाह है। जय अमित।’’ भारतीय अर्थव्यवस्था के पैर पर कुल्हाड़ी मारने वाले सरकार के नोटबंदी के एकतरफा फैसले से पहले 6230 रुपये का घाटा उठाने वाली कंपनी अचानक बंद होने से कुछ हफ्तों पहले 80 करोड़ के मुनाफे में चली गयी। लेकिन अगर आपके पिता का नाम अमित शाह है तो क्या नोटबंदी का फैसला आपके लिए हैरान करने वाला फैसला हो सकता है? हमें तो ऐसा नहीं लगता!
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