Thursday, October 19, 2017

The Return Of RaGa - राहुल गांधी को पप्पू बनाया सोशल मीडिया से अब सोशल मीडिया से राहुल गाँधी भाजपा की बैंड बजा रहे हैं

बीजेपी के नेता पहले इंदिरा गांधी को ‘गूंगी गुड़िया’ कहते थे और बाद में कांग्रेस को नेतृत्व के शीर्ष पर ले जाने के कारण उन्हें ‘आयरन लेडी’ और ‘दुर्गा’ की संज्ञा दी गयी. इसी तरह बीजेपी नेता देश को तकनीकी विकास की राह पर ले जाने वाली राजीव गांधी सरकार की नीतियों का भी मजाक उड़ाते थे लेकिन उन्हीं की बदौलत देश में कंप्यूटर क्रांति हुई. इसी तरह बीजेपी राहुल गाँधी को पप्पू कहते थे लेकिन अब राहुल गाँधी उनको उनकी हर बात का जवाब दे रहे है जिस से यह साफ़ दिख रहा है कांग्रेस को आगे ले जाने में इंदिरा जी और राजीव जी की तरह ही सफल होंगे राहुल गांधी  

@OfficeOfRG, the official twitter handle of Rahul Gandhi (since he doesn’t have a personal one) got 2,784 re-tweets in September on “average”, which is 278 re-tweets higher than all popular PM Modi. On an average Modi got 2,506 re-tweets and on the other hand, Delhi CM Arvind Kejriwal got 1,722.  @OfficeOfRG is even gaining larger traction in October with 3,812 re-tweets so far.


सोशल मीडिया की ताकत निर्जीव हो चुकी कांग्रेस अब दमदार नज़र आ रही है.

सोशल मीडिया के माध्यम से आज कांग्रेस भारतीय जनता पार्टी को हर मोर्चे पर टक्कर दे रही है. मार्च 2017 में जब उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनावों के नतीजे आये तो भारतीय जनता पार्टी ने इन चुनावों में प्रचंड बहुमत के साथ उत्तर प्रदेश की सत्ता में वापसी की. बीजेपी ने इन चुनावों में अकेले ही 300 से ज्यादा सीटों का आकंड़ा छू लिया. हालांकि इन चुनावों में राहुल गांधी की तमाम कोशिशों के बाद भी कांग्रेस का आकंड़ा दहाई अंकों तक भी नहीं पहुंच सका. पार्टी की ये स्थिति तब रही थी जब पार्टी ने इन चुनावों के लिए जीत दिलाने में माहिर प्रशांत किशोर को अपने साथ जोड़ा था. इन नतीजों के बाद ही कांग्रेस के साझीदार रहे उमर अब्दुल्ला ने कहा था कि भारतीय जनता पार्टी जिस स्पीड से जा रही है उसमें विपक्ष को 2019 का चुनाव भूल कर 2024 की तैयारी करनी शुरू कर देनी चाहिए.
इस घटना के तीन महीने बाद ही कांग्रेस के लिए गुजरात का राज्यसभा चुनाव भी एक नयी मुसीबत बन के आया. जब पार्टी को अपने कद्दावर नेता अहमद पटेल को राज्यसभा भेजने के लिए नाकों चने चबाने पड़े. हालांकि अहमद पटेल चुनाव जीतने में सफल रहे. वाकई स्थिति ऐसी आ गयी थी की कांग्रेस के लिए कुछ भी अच्छा नहीं घट रहा था. पार्टी के अंदर से ही राहुल गांधी के नेतृत्व के खिलाफ आवाजें उठने लगी थी. लगने लगा था कि शायद देश में कोई विपक्ष है ही नहीं. और भाजपा की जो गति दिखाई दे रही थी उससे अंधभक्तो को यही लगता था कि भाजपा कांग्रेस मुक्त भारत के नजदीक पहुंच गई है.

राहुल गांधी को पप्पू बनाया सोशल मीडिया से अब उसी से राहुल गाँधी भाजपा की बैंड बजा रहे हैं

लेकिन पिछले कुछ महीनों में चीजें बदल गयी हैं. सत्ता परिवर्तन होने के बाद पहली बार कांग्रेस एक मजबूत विपक्ष के रूप में काम कर रही है. एक तरफ जहां पार्टी सरकार के योजनाओं की तथ्यों के साथ पोल खोल रही है. तो वहीं दूसरी ओर कई सालों बाद कांग्रेस, भाजपा को उसके गढ़ गुजरात में चुनौती दे रही है. क्या आपने सोचा है, आखिर क्या वजह है कि कुछ महीनों पहले ही अधमरी हो चुकी कांग्रेस अचानक नए तेवर के साथ फिर से उठ खड़ी हुई है? देखा जाये तो पिछले कुछ महीनों में कांग्रेस ने कुछ मूल बातों पर काम किया हुआ है. जिसमे अपने कार्यकर्ताओ की बात पार्टी ने सुनी और उसे अमल में लाया गया इससे पार्टी खुद को एक मजबूत विपक्ष के रूप में स्थापित करने की दिशा में बढ़ रही है.

सरकार की खामियां जनता तक लाना

एक विपक्ष का मूलभूत काम ही सरकार की खामियां जनता तक ले जाना होता है. हालांकि अब तक कांग्रेस ऐसा कर पाने में नाकाम रही थी. लेकिन पिछले कुछ समय से कांग्रेस ने सरकार के नीतियों की आलोचना काफी आक्रामक तरीके से की. अभी हाल ही में जीडीपी के पहले तिमाही के नतीजे आये थे. पहले तिमाही के नतीजों के अनुसार देश की जीडीपी 5.7 प्रतिशत रही. इसे नोटबंदी के असर के रूप में देखा गया. कांग्रेस ने इन नतीजों को मनमोहन सिंह के उस बयान से बखूबी जोड़ दिया जहां मनमोहन ने जीडीपी घटने की भविष्यवाणी की थी. साथ ही कांग्रेस ने इसे नोटबंदी के दुष्परिणाम बताने में भी देरी नहीं की. इसके बाद कांग्रेस ने सरकार के रोजगार न दे पाने के मुद्दे को भी काफी जोर शोर से उठाया, सरकार भी इस मुद्दे पर कोई तार्किक उत्तर देते नहीं नजर आयी. कांग्रेस ने इसी दौरान पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों पर भी मोदी सरकार की जम कर खिंचाई की.

सोशल मीडिया पर दमदार उपस्थिति

कांग्रेस के शशि थरूर साल 2009 से ही ट्विटर पर एक्टिव हैं. और शायद भारतीय नेताओं में वह पहले भी हैं. मगर हमारी पार्टी ने इस दमदार प्लेटफार्म को समझने में काफी समय लगा दिया. वैसे अब नेताओ ने अपनी गलती सुधारी है और इस बात को अच्छी तरह समझ भी गए है कि वर्तमान दौर में सोशल मीडिया प्लेटफार्म को नजरअंदाज कर लोगों से जुड़े रहना काफी मुश्किल है. तभी तो कांग्रेस आज सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म पर उसी ताक़तवर तरीके से खड़ी दिखाई दे रही है, जितना कुछ समय पहले तक भारतीय जनता पार्टी हुआ करती थी.


आज कांग्रेस के सभी नेता सरकार के मंत्रियों और सरकार के नीतियों को जम कर खिंचाई करते नजर आ रहे हैं. कांग्रेस उपाध्यक्ष जिनको सोशल मीडिया पर कई बार पप्पू कहकर भी काफी खिल्ली उड़ी. वही राहुल गांधी अब अपने चुटीले ट्वीट के लिए वाहवाही बटोरते नजर आ रहे हैं. सोशल मीडिया पर कांग्रेस की आक्रामकता का ही असर है कि गुजरात चुनावों में सोशल मीडिया के जंग में भाजपा कांग्रेस से पीछे नजर आ रही है. आज कांग्रेस सोशल मीडिया पर एजेंडा सेट करते हुए नजर आ रही है, जो अब तक सामान्य तौर पर भारतीय जनता पार्टी किया करती थी.

हालिया जीतों से बढ़ा आत्मविश्वास

पिछले कुछ महीनों में भले ही कांग्रेस पंजाब छोड़ कोई बड़ी जीत न हासिल कर सकी हो. मगर इस दौरान कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई ने जरूर कई विश्वविद्लायों में बेहतर प्रदर्शन किया है. मसलन एनएसयूआई दिल्ली विश्वविद्यालय में कई वर्षों बाद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद पर जीत दर्ज करने में सफल रही. इन जीतों ने ये साबित कर दिया कि कांग्रेस अभी उतनी अप्रासांगिक नहीं हुई है, जितना इसे बताया जा रहा है.

कई मुद्दों पर घिरती केंद्र सरकार

अभी तक मोदी सरकार की सबसे बड़ी ताक़त यही रही है कि सरकार अपने नीतियों को काफी प्रभावी ढंग से जनता तक रखने में सफल रही है. चाहे नोटबंदी हो चाहे सर्जिकल स्ट्राइक मोदी सरकार इसके फायदे लोगों को बताने में कामयाब रही है. हालांकि हाल के दिनों में मोदी सरकार कई मुद्दों पर घिरती नज़र आ रही है. मसलन सरकार युवाओं को रोजगार क्यों नहीं दे पा रही है? क्या वाकई सरकार नोटबंदी से काले धन पर चोट कर पायी है? खुद इन सवालों के जवाब सरकार के पास नहीं हैं. जिसके कारण कांग्रेस इन मुद्दों को भुनाने में सफल रही है. अभी हाल ही में अमित शाह के बेटे पर लगे आरोप ने भी सरकार की किरकिरी करा दी है.

इन कारणों से साफ़ हो गया है कि आज कांग्रेस जिस तेवर के साथ भारतीय जनता पार्टी को हर मोर्चे पर टक्कर दे रही है. उससे एक बात तो जरूर है कि कांग्रेस मुक्त भारत की बात करने वालो की अब हम नहीं छोड़ने वाले. अब यह बात तो तय है कि साल 2019 का लोक सभा चुनाव कांग्रेस जीत रही है.



Article Ref : http://www.ichowk.in

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